ख्वाब
आज शाम क्यू कटती नहीं जान आपस मे क्यू बटती नहीं रूह जैसे चुप थी कही आँखो मे गजब रौशनी फिर भी बेचैनी किसीको देखती नहीं नाम गगन रूप रूह रंग मोड़ कर दिल टूटे हालात प्यार गंध ओढ़ कर धीट हु बिंदास मुलगा मी खोड़ कर अभी तो मे चलने लगा हु ख्वाबो की चददर कही ओढ़कर ! आपस मे दूरि, नींद अधुरी सच का रूप, नियत है बुरी, सच मान मेरे बातोंको चुम कभी तेरे इरादोंको अंत तेरा मेरा समान जैसे एक उम्मीदे नाराज़ है, फिर भी कटी पतंगे भी उड़ती उची आसमाको !
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आज शाम क्यू कटती नहीं जान आपस मे क्यू बटती नहीं रूह जैसे चुप थी कही आँखो मे गजब रौशनी फिर भी बेचैनी किसीको देखती नहीं नाम गगन रूप रूह रंग मोड़ कर दिल टूटे हालात प्यार गंध ओढ़ कर धीट हु बिंदास मुलगा मी खोड़ कर अभी तो मे चलने लगा हु ख्वाबो की चददर कही ओढ़कर ! आपस मे दूरि, नींद अधुरी सच का रूप, नियत है बुरी, सच मान मेरे बातोंको चुम कभी तेरे इरादोंको अंत तेरा मेरा समान जैसे एक उम्मीदे नाराज़ है, फिर भी कटी पतंगे भी उड़ती उची आसमाको !
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