ZALLAD

gully gang cypher

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gully gang cypher

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19 Apr 2020

बढ़ती चलती सांसे, बढ़ते है सपने और बढ़ते दिन पलकों पर आकर बैठे एक पल, अगले पल लगे कठिन! मैं बनना चाहता था चिराग घर का और दी घिस कलम फिर घिसते घिसते रास्ता निकल के आया जैसे जिन! उन्नीस है उमर जवानी किसको बक्षे ना अब तीस है कमर मेरी और ढीले कपड़े जचते हां! हूं लिखने चलता ज़िन्दगी पे, ज़िन्दगी ये लिखती कुछ है उसका फैसला की सबको सम्मोहित तू करके जा! हां लड़ते जा बस लड़ते जा! कहता मैं खुद से! क्योंकि कोई और ना चाहेगा मैं मन ही मन में हस देता मेरी मां सिखाती मुझको, नज़रों में देख और हसी दे सबको नफरतों की आग लेके दिल से सबका भड़केगा! ये तो कुछ है बस और बातें ऐसी बहुत सी है! इन रैपरों सपना बस है बनना लोकप्रिय! थिरके सौ पांव पर समझे ना किसी को कुछ तू! आ अभी और देख के कैसे बसती इसमें ज़िन्दगी है!

6 Comments

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4 years ago

@XMCX hey maine like kar diya Ab aap bhi kar do bro

4 years ago

good bhai ji😊💥😄😄

4 years ago

Mastttt

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