Ankit Gupta

Carte_11-48

Ankit Gupta
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31 Oct 2019

पीठ पीछे क़िस्से बुनती हैं तीन औरतें मुहल्ले कि जब भी मिलती हैं असल कुछ नहीं बातों में इनकी कुछ मजे के लिए , कुछ अंदर से ये जलती हैं इन्हें दिक्कत है हर बात से अपने घर का पता नहीं दूसरे को बदचलन कहे चार औरतें है ये मेरे मुहल्ले कि जब भी मिलती हैं पीठ पीछे अक्सर किस्से बुनती हैं

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5 years ago

पीठ पीछे क़िस्से बुनती हैं तीन औरतें मुहल्ले कि जब भी मिलती हैं असल कुछ नहीं बातों में इनकी कुछ मजे के लिए , कुछ अंदर से ये जलती हैं इन्हें दिक्कत है हर बात से अपने घर का पता नहीं दूसरे को बदचलन कहे चार औरतें है ये मेरे मुहल्ले कि जब भी मिलती हैं पीठ पीछे अक्सर किस्से बुनती हैं

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