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हो रहा है धर्म युद्ध, इसान हर यहां पर क्रुद्ध -2 काली सबकी रूह, पर दिखाते जैसे सबसे शुद्ध -२ खुद को जान ,खुद को तू मना ऐसे बैठा क्यों है? खुद को जोड़ ,खुद को तू बना, ऐसे रोता क्यों है? वक्त की इस आग में, खुद की जलती राख से, बन ऐसा परिंदा, पर फैला पूरी कर आरजू। है वजूद तेरा भी समझ ले beta time पे क्यों खफ़ा है लोगों की हरेक जलती लाइन पे Fine है, सब सही है, सब यहाँ तो fine है लोगों की आलोचना, बुलन्दगी का sighn है Load ऐसे क्यों है लेता, सब यहां तो light है हर दफा है धोखा, है नफा, और थोड़ी fight है Right है, हर मनुज नज़र में अपनी right है Ego उससे भी है ऊँचा, जिंतनी ऊंची hight है Night में ,पर पाता ऐसे तू सूकून क्यों है ? Side से, रातें करवटों में ऐसे कटती क्यो हैं Frightened आत्मा ये तेरी ऐसे घुटती क्यों हैं Hide हैं, guilt तेरे जिस्म में, रिसते क्यों है? क्योंकि तू भी जानता ये क्या गलत क्या है सही पर ना ख़ुद की मानता तू बात एक गलत फिर भी डालता है पर्दा , जैसे कोई ना हो देखता.. कैसे भुला तू खुदा को, देखता जो हर कहीं। क्या ग़लत है क्या सही ख़ुद से तू चुनाव कर जानबूझकर ना ऐसे बेवजह गुनाह कर नासमझ तो पालता है ख़ुद पे घाव धोखे से पर तू जानबूझकर ना पांव धर कुल्हाड़ी पर काबिल भट्ठी में तू ख़ुद को झोंक, फनाह कर ख़ुद को ना तू जंग मार, खुद से कुछ सलाह कर आर पार की ये war, कर ले ख़ुद पे ऐतबार क्या मिलेगा खुद में घुटकर, ख़ुद को यूं तबाह कर। ऐसे छोटे क्यों है बैठा ज़िंदगी से हार कर मिलती और बिछड़ती है सफलता हरेक राह पर क्या मिला और क्या मिलेगा सोच अपना सर्वस्व व्यर्थ में गंवाकर??
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