Deependra Jangid

Gango_13-57

Deependra Jangid
Gango_13-57

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19 Sep 2019

लिखता हूं शब्दों के जोड़ से मतलबी निकलते हर मोड़ से तुझको बताऊंगा अभी ऐसी तेरे में बात नही पहले समझ तू खुद को फिर भी तू साथ नही दोस्त बनते अपने मतलब के लिए अकेले मेने कितने जहर के घुट पिये अकेला हु तभी तो अपने भी दूर है किया करू में भी मेरा खुदा भी तो मजबूर है लोग बोलते मेरे बातो से की तू बोलता बोहत है अब मे नही मेरे शब्द मचाएंगे बस ख़ौफ़ है कैद में खुद की जंजीरों में पर सपने उफान पर तोड़ के आऊंगा में ज़िद बोले अब तूफान कर ना दोष किस्मत का दोष मेरा खुद का पर्दा बस सोच पर वो भी जुठ का साबित करने में रखा कुछ नही रखा ज़िंदा अस्तित्व वजूद का शब्द मेरे उगले ज्वाला अब बाते करू न कोई फेक में छोड़ी बातें फालतू ओर खो रहा हु में शब्दों के क्रेज़ में दिखने में रफ पर बेटा लिखने में टफ़ है हार ना मानू में ये बन्दा बड़ा सख्त है जेब मेरी खाली ओर रास्ते बड़े सपनो के मुसीबत में पाया खुद को तब समझ आया मेरे रंग अपनो के साथ जो है आज वो बस एक दिखावा है बेफिजूल की बाते जुठा इनका पहनावा है बाते अब उसकी जो मेरा ख्वाब  थी यादे  उसकी  धुंधली ना  साफ थी तूने समझा नही मुजे कभी तेरे अलावा जानते वो सभी कभी तो मेरे दिल की धड़कन महसूस करती मेरी हर सांस बस तेरे एक हँसी थी पर मरती मेरे दिल मे बस तेरी यादो का बसेरा था में नही पर मेरा दिल तुजसे कह रहा था बस तूने सुनी न मेरे दिल की आवाज़ भी में महसूस करता हु तुजे आज भी आज तू किसी ओर के साथ है तेरे लिए बस ये एक छोटी बात है कैसे मेने अपने हर गम को तुजसे छुपाया सबकुस बदला मेने न हटता बस एक तेरा छाया में तेरी यादो को भूलकर आगे जा रहा हु कितना कुछ तेरी वजह से में सह रहा हु ना तेरी जरूरत मुजे अब है तू ना पर गवाह मेरा रब है ना में पागल ना में कोई बेचारा मुजे बस अब मेरा सहारा

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5 years ago

लिखता हूं शब्दों के जोड़ से मतलबी निकलते हर मोड़ से तुझको बताऊंगा अभी ऐसी तेरे में बात नही पहले समझ तू खुद को फिर भी तू साथ नही दोस्त बनते अपने मतलब के लिए अकेले मेने कितने जहर के घुट पिये अकेला हु तभी तो अपने भी दूर है किया करू में भी मेरा खुदा भी तो मजबूर है लोग बोलते मेरे बातो से की तू बोलता बोहत है अब मे नही मेरे शब्द मचाएंगे बस ख़ौफ़ है कैद में खुद की जंजीरों में पर सपने उफान पर तोड़ के आऊंगा में ज़िद बोले अब तूफान कर ना दोष किस्मत का दोष मेरा खुद का पर्दा बस सोच पर वो भी जुठ का साबित करने में रखा कुछ नही रखा ज़िंदा अस्तित्व वजूद का शब्द मेरे उगले ज्वाला अब बाते करू न कोई फेक में छोड़ी बातें फालतू ओर खो रहा हु में शब्दों के क्रेज़ में दिखने में रफ पर बेटा लिखने में टफ़ है हार ना मानू में ये बन्दा बड़ा सख्त है जेब मेरी खाली ओर रास्ते बड़े सपनो के मुसीबत में पाया खुद को तब समझ आया मेरे रंग अपनो के साथ जो है आज वो बस एक दिखावा है बेफिजूल की बाते जुठा इनका पहनावा है बाते अब उसकी जो मेरा ख्वाब  थी यादे  उसकी  धुंधली ना  साफ थी तूने समझा नही मुजे कभी तेरे अलावा जानते वो सभी कभी तो मेरे दिल की धड़कन महसूस करती मेरी हर सांस बस तेरे एक हँसी थी पर मरती मेरे दिल मे बस तेरी यादो का बसेरा था में नही पर मेरा दिल तुजसे कह रहा था बस तूने सुनी न मेरे दिल की आवाज़ भी में महसूस करता हु तुजे आज भी आज तू किसी ओर के साथ है तेरे लिए बस ये एक छोटी बात है कैसे मेने अपने हर गम को तुजसे छुपाया सबकुस बदला मेने न हटता बस एक तेरा छाया में तेरी यादो को भूलकर आगे जा रहा हु कितना कुछ तेरी वजह से में सह रहा हु ना तेरी जरूरत मुजे अब है तू ना पर गवाह मेरा रब है ना में पागल ना में कोई बेचारा मुजे बस अब मेरा सहारा

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