sahara
Himanshu Guptaअपनी कलम से लिखूं वो लफ़्ज़ हो तुम, अपने दिमाग से सोच लूँ वो ख्याल हो तुम, अपनी दुआओ में मांग लूँ वो मन्नत हो तुम, और जिसे हम अपने दिल में रखते हैं वो चाहत हो तुम। भंवर से निकल कर एक किनारा मिला है, जीने को फिर एक सहारा मिला है, बहुत कश्मकश में थी ये जिंदगी मेरी, अब इस जिंदगी में साथ तुम्हारा मिला है।
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अपनी कलम से लिखूं वो लफ़्ज़ हो तुम, अपने दिमाग से सोच लूँ वो ख्याल हो तुम, अपनी दुआओ में मांग लूँ वो मन्नत हो तुम, और जिसे हम अपने दिल में रखते हैं वो चाहत हो तुम। भंवर से निकल कर एक किनारा मिला है, जीने को फिर एक सहारा मिला है, बहुत कश्मकश में थी ये जिंदगी मेरी, अब इस जिंदगी में साथ तुम्हारा मिला है।
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