Ankit Pawar
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कभी यूँ भी तो हो


कभी यूँ भी तो हो

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13 Mar 2019

कभी यूँ भी तो हो दरिया का साहिल हो पूरे चाँद की रात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो परियों की महफ़िल हो कोई तुम्हारी बात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो ये नर्म मुलायम ठंडी हवायें जब घर से तुम्हारे गुज़रें तुम्हारी ख़ुश्बू चुरायें मेरे घर ले आयें कभी यूँ भी तो हो सूनी हर मंज़िल हो कोई न मेरे साथ हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो ये बादल ऐसा टूट के बरसे मेरे दिल की तरह मिलने को तुम्हारा दिल भी तरसे तुम निकलो घर से कभी यूँ भी तो हो तनहाई हो, दिल हो बूँदें हो, बरसात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो

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5 years ago

कभी यूँ भी तो हो दरिया का साहिल हो पूरे चाँद की रात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो परियों की महफ़िल हो कोई तुम्हारी बात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो ये नर्म मुलायम ठंडी हवायें जब घर से तुम्हारे गुज़रें तुम्हारी ख़ुश्बू चुरायें मेरे घर ले आयें कभी यूँ भी तो हो सूनी हर मंज़िल हो कोई न मेरे साथ हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो ये बादल ऐसा टूट के बरसे मेरे दिल की तरह मिलने को तुम्हारा दिल भी तरसे तुम निकलो घर से कभी यूँ भी तो हो तनहाई हो, दिल हो बूँदें हो, बरसात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो

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