mai hun kyaa 2
Pravesh Bamolaइस दौर से, दुनिया के शोर से अलग हूं मैं इस भागदौड़ से जब से सुनने लगा हूं अपने दिल की न हुआ कभी दुखी और बोर मैं हुयी समस्या ही अब मेरी शक्ति जाने कहां से आयी मुझमें ये विरक्ति क्या किस्मत है मेरी किस्मत की मेरी सोच सोचने से परे तक की इसमें नहीं बात कोई भी शक की दुनिया मुझे जितना पागल समझती उतनी ही ये भी मुझे बावली लगती जिन हालातों को लगा उन्होंने मुझे तोड़ दिया मैंने उनके इस वहम को भी तोड़ दिया मजबूरीयों से थोड़े कदम मेरे रुके तो चुनौतियों ने समझा मैंने हौसला छौड़ दिया चलना है ऐसे अब अपने विधान से जो दिल को पसन्द वो करना जी जान से तारीफ़ और तानो से न विचलित होगा ध्यान ये रखना नहीं व्यर्थ का अभिमान है ये बात आज फिर दूं दोहरा
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इस दौर से, दुनिया के शोर से अलग हूं मैं इस भागदौड़ से जब से सुनने लगा हूं अपने दिल की न हुआ कभी दुखी और बोर मैं हुयी समस्या ही अब मेरी शक्ति जाने कहां से आयी मुझमें ये विरक्ति क्या किस्मत है मेरी किस्मत की मेरी सोच सोचने से परे तक की इसमें नहीं बात कोई भी शक की दुनिया मुझे जितना पागल समझती उतनी ही ये भी मुझे बावली लगती जिन हालातों को लगा उन्होंने मुझे तोड़ दिया मैंने उनके इस वहम को भी तोड़ दिया मजबूरीयों से थोड़े कदम मेरे रुके तो चुनौतियों ने समझा मैंने हौसला छौड़ दिया चलना है ऐसे अब अपने विधान से जो दिल को पसन्द वो करना जी जान से तारीफ़ और तानो से न विचलित होगा ध्यान ये रखना नहीं व्यर्थ का अभिमान है ये बात आज फिर दूं दोहरा
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